शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

न्याय मे बाधक-1

भारत की न्याय
प्रक्रिया बेहतरीन है!हाँ इसका बेस
पुलिस होने से
आमजन न्याय से
बंचित सा लगता
है!अब देखो FIR लिखना हैPOLICEको
CHARGE SHEETतैयार
कर आरोप लगाना हैPOLICE को
फिर न्याय की
आशा कैसे?वह
सोर्शवाले के
साथ!!

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

गरीब व न्याय

कहते है कि गरीब
अकिंचन अर्थात
उसके पास कुछ
नही होता!!लेकिन
जब उसका जो कुछ भी है उसे भी सक्षम लोग हणपने पर लगे
रहते है!पावरवाले के साथ शासन व
प्रसासन भी रहता है!उसे अगर
सहारा है तो केवल कोर्ट का!

गरीब व न्याय

भारत मे एक संवि
धान है मूलाधि
कार है उन्हेपाने के लिए JUDICIARY भी है !जानकर अच्छा
लगता है लेकिन
हकीकत इतना
सरल व सहज नही!हक पाना बणा कठिन है!
हक लेना पणता
है!इसके लिए दाम
चाहिए समय चा
हिए!और ताकत भी !!

शनिवार, 17 सितंबर 2011

nyay ki har

एक ब्यक्ति सरकारी तंत्र के
गलत निर्णय के
कारण जेल चला
जाता है।वह कई
साल न्यायिक
प्रक्रिया का
सामना करता है
अंत मे निर्दोष
साबित होता है!
इस बीच वह
निर्धन हो जाता
है अपमानित होता है!क्या
न्याय ह

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

न्याय जीते कैसे

एक आदमी के विरुद्ध सोर्स
वाले लोग षणयंत्र कर पुलिस से मिलकर फर्जी तरीके से फँसा
देते है।उसकेपास
क्या उपाय है?
मरता रहे या
साबित करे कि
वह निर्दोष है!
वह दोषरहित हो
जाता है तो गलत लोग को सजा मिलेग

रविवार, 11 सितंबर 2011

nyay ki har हारा न्याय

आज कोर्ट को सब
कोसते है कि न्याय मिलता नही अगर मिलता भी तौ देरी से?
संसद हमले के केश मे मात्र 4
साल मे अफजल
को सजा दे दी गयी!आज11साल
बाद भी सजा न
होना न्याय की
हार ही तो है!!अंत
में न्याय की हार ????

बुधवार, 7 सितंबर 2011

PARMESHWAR PANDEY BHARPURWA MASKANWA GONDA U.P.

एक सिद्धान्त
है कि न्याय केवल होना ही नही
चाहिए वल्कि लगना भी चाहिए
कि न्याय हो रहा
है।मानवाधिकार
आयोग,लोकायुक्त सतर्कता आयोग आदि आदि
इसीलिए तो बनाई गयी है !
ये दिखाने के
लिएहैकिलोगसंतुष्ट रह

PARMESHWAR PANDEY BHARWA MASKANWA GONDA

मैने समय समय पर रिश्वतखोरी
व सोर्श के आधार पर अधिकारी को
अपने पक्ष में
करके विरोधियो
के जुल्म का शिकार बनता रहाहूँ। हमने
यह विश्वाश किया कि अंत मे
न्याय की जीत
होती ही है!लेकि
न यह मेरी भूल
?